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यह जानना कि योगासन आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को कैसे परिवर्तित करते हैं

**वज्रासन (वज्र मुद्रा)**

अपने नितंबों को अपनी एड़ियों पर टिकाकर आरामदायक स्थिति में बैठें।

सुनिश्चित करें कि आपके बड़े पैर की उंगलियां ओवरलैप न हों।

अपने हाथों को हल्के से अपनी जांघों पर रखें, अपने अंगूठे और बाकी उंगलियों से एक घेरा बनाएं।

**फ़ायदे:**

- वज्रासन योग और ध्यान में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला बैठने का आसन है, जो साइटिका दर्द से प्रभावी रूप से राहत दिला सकता है।

- मन को शांत करने और शांति को बढ़ावा देने में मदद करता है, विशेष रूप से भोजन के बाद पाचन के लिए फायदेमंद है।

- पेट के अल्सर, अत्यधिक गैस्ट्रिक एसिड और अन्य गैस्ट्रिक असुविधाओं को कम कर सकता है।

- प्रजनन अंगों से जुड़ी नसों की मालिश और उत्तेजना करता है, अत्यधिक रक्त प्रवाह के कारण सूजे हुए अंडकोष वाले पुरुषों के लिए फायदेमंद है।

- हर्निया को प्रभावी ढंग से रोकता है और एक अच्छे प्रसव पूर्व व्यायाम के रूप में कार्य करता है, जिससे पेल्विक मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

**सिद्धासन (अनुकूल मुद्रा)**

दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठें, बाएं घुटने को मोड़ें और एड़ी को दाहिनी जांघ के पेरिनेम पर रखें।

दाएं घुटने को मोड़ें, बाएं टखने को पकड़ें और इसे शरीर की ओर खींचें, एड़ी को बाईं जांघ के मूलाधार पर रखें।

दोनों पैरों के पंजों को जांघों और पिंडलियों के बीच रखें। अपनी उंगलियों से एक घेरा बनाएं और उन्हें अपने घुटनों पर रखें।

**फ़ायदे:**

- एकाग्रता और ध्यान प्रभावशीलता को बढ़ाता है।

- रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

- शारीरिक और मानसिक संतुलन और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है।

**सुखासन (आसान मुद्रा)**

दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठें, दाहिने घुटने को मोड़ें और एड़ी को श्रोणि के पास रखें।

बाएं घुटने को मोड़ें और बाईं एड़ी को दाहिनी पिंडली पर टिकाएं।

अपनी उंगलियों से एक घेरा बनाएं और उन्हें अपने घुटनों पर रखें।

**फ़ायदे:**

- शरीर का लचीलापन और आराम बढ़ाता है।

- पैरों और रीढ़ की हड्डी में तनाव दूर करने में मदद करता है।

- विश्राम और मानसिक शांति को बढ़ावा देता है।

पद्मासन (कमल मुद्रा)

● दोनों पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठें, दाएं घुटने को मोड़ें और दाएं टखने को बाईं जांघ पर रखकर पकड़ें।

● बायां टखना दाहिनी जांघ पर रखें।

● दोनों एड़ियों को पेट के निचले हिस्से के पास रखें।

फ़ायदे:

शरीर की मुद्रा और संतुलन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

पैरों और त्रिकास्थि में तनाव से राहत दिलाने में सहायता करता है।

विश्राम और आंतरिक शांति की सुविधा प्रदान करता है।

**ताड़ासन (पर्वत मुद्रा)**

पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं, भुजाएं आपके बगल में स्वाभाविक रूप से लटकी हुई हों, हथेलियां आगे की ओर हों।

धीरे-धीरे अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं, अपने कानों के समानांतर, उंगलियां ऊपर की ओर रखें।

अपने पूरे शरीर के संरेखण को बनाए रखें, अपनी रीढ़ को सीधा रखें, पेट को व्यस्त रखें और कंधों को शिथिल रखें।

**फ़ायदे:**

- खड़े होने की स्थिति में मुद्रा और स्थिरता में सुधार करने में मदद करता है।

- टखनों, टांगों और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

- संतुलन और समन्वय बढ़ाता है.

- आत्मविश्वास और आंतरिक स्थिरता को बढ़ाता है।

**वृक्षासन (वृक्ष मुद्रा)**

पैरों को एक साथ जोड़कर खड़े रहें, अपने बाएं पैर को अपने दाहिने पैर की भीतरी जांघ पर रखें, जितना संभव हो श्रोणि के करीब रखें, संतुलन बनाए रखें।

अपनी हथेलियों को अपनी छाती के सामने एक साथ लाएँ, या उन्हें ऊपर की ओर फैलाएँ।

स्थिर श्वास बनाए रखें, अपना ध्यान केंद्रित करें और संतुलन बनाए रखें।

**फ़ायदे:**

- टखनों, पिंडलियों और जांघों में ताकत और लचीलेपन में सुधार होता है।

-रीढ़ की हड्डी में स्थिरता और लचीलापन बढ़ाता है।

- संतुलन और एकाग्रता को बढ़ावा देता है.

- आत्मविश्वास और आंतरिक शांति को बढ़ावा देता है।

**बालासन (बाल मुद्रा)**

एक योगा मैट पर घुटनों को फैलाकर बैठें, उन्हें कूल्हों के साथ संरेखित करें, पैर की उंगलियां छूएं और एड़ियां पीछे की ओर झुकें।

धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें, अपने माथे को जमीन पर लाएं, भुजाएं आगे की ओर फैली हुई हों या बगल में शिथिल हों।

मुद्रा को बनाए रखते हुए, जितना संभव हो सके अपने शरीर को आराम देते हुए गहरी सांस लें।

**फ़ायदे:**

- तनाव और चिंता से राहत देता है, शरीर और दिमाग को आराम देता है।

- रीढ़ और कूल्हों में खिंचाव आता है, जिससे पीठ और गर्दन का तनाव कम होता है।

- पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है, अपच और पेट की परेशानी से राहत दिलाने में सहायता करता है।

- सांस को गहरा करता है, सहजता से सांस लेने को बढ़ावा देता है और सांस संबंधी कठिनाइयों से राहत देता है।

**सूर्य नमस्कार (सूर्य नमस्कार)**

पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं, हाथ छाती के सामने एक साथ दबे हुए हों।

श्वास लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और पूरे शरीर को फैलाएं।

सांस छोड़ें, कूल्हों से आगे की ओर झुकें, हाथों को जितना संभव हो पैरों के करीब रखकर जमीन को छूएं।

श्वास लें, दाएँ पैर को पीछे ले जाएँ, दाएँ घुटने को नीचे करें और पीठ को झुकाएँ, टकटकी ऊपर उठाएँ।

साँस छोड़ें, बाएँ पैर को दाएँ से मिलाने के लिए वापस लाएँ, नीचे की ओर कुत्ते की स्थिति बनाते हुए।

श्वास लें, शरीर को तख़्त स्थिति में लाएँ, रीढ़ और कमर को सीधा रखें, आगे की ओर देखें।

सांस छोड़ें, कोहनियों को शरीर के पास रखते हुए शरीर को जमीन पर झुकाएं।

श्वास लें, छाती और सिर को जमीन से ऊपर उठाएं, रीढ़ की हड्डी को फैलाएं और हृदय को खोलें।

सांस छोड़ें, कूल्हों को उठाएं और नीचे की ओर कुत्ते की स्थिति में वापस आ जाएं।

श्वास लें, दाहिने पैर को हाथों के बीच आगे बढ़ाएं, छाती को ऊपर उठाएं और ऊपर की ओर देखें।

साँस छोड़ें, बाएँ पैर को कूल्हों से आगे मोड़ते हुए दाएँ से मिलने के लिए आगे लाएँ।

श्वास लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और पूरे शरीर को फैलाएं।

साँस छोड़ें, हाथों को छाती के सामने एक साथ लाएँ, प्रारंभिक खड़े होने की स्थिति में लौट आएँ।

**फ़ायदे:**

- शरीर को मजबूत बनाता है और लचीलापन बढ़ाता है, जिससे समग्र मुद्रा में सुधार होता है।

- रक्त परिसंचरण को उत्तेजित करता है, चयापचय को तेज करता है।

- श्वसन क्रिया में सुधार, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।

- मानसिक फोकस और आंतरिक शांति को बढ़ाता है।


पोस्ट करने का समय: अप्रैल-28-2024